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भीषणो भैरवः पातु उत्तरस्यां तु सर्वदा
शक्तिबीजद्वयं दत्वा कूर्चं स्यात् तदनन्तरम् ॥ १५॥
ಮ್ರಿಯಂತೇ ಸಾಧಕಾ ಯೇನ ವಿನಾ ಶ್ಮಶಾನಭೂಮಿಷು
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यत्र यत्र भयं प्राप्तः सर्वत्र प्रपठेन्नरः ॥ ५॥
बटुक भैरव कवच का व्याख्यान स्वयं महादेव ने किया है। जो इस बटुक भैरव कवच का अभ्यास करता है, वह सभी भौतिक सुखों को प्राप्त करता है।
ಉದರಂ ಚ ಸ ಮೇ ತುಷ್ಟಃ ಕ್ಷೇತ್ರೇಶಃ ಪಾರ್ಶ್ವತಸ್ತಥಾ
॥ इति more info रुद्रयामले महातन्त्रे महाकालभैरवकवचं सम्पूर्णम्॥
वेदादिबीजमादाय भगमान् तदनन्तरम् ॥ १७॥